रविवार, 1 सितंबर 2013

छह सीन और लेडी महामंडलेश्‍वर

पहला सीन कुछ ऐसे है-
'आई लव यू बॉटम टू माई हार्ट' जैसे शब्‍द, गहरे रंग  वाला नियोन मेकअप से लदा-फदा चेहरा, तराशा हुआ  सा जवां सी औरत का शरीर मंच पर हाई बीम लाइट  के साथ नमूदार होता है... तो वहां मौज़ूद लोग बौरा  जाते हैं... इस कंडीशन को आप एकबारगी यही कहेंगे  ना कि ये तो किसी फिल्‍मी एक्‍ट्रेस की नई अदा होगी  अपने मुरीदों को पागल बनाने की...

दूसरा सीन कुछ यूं है-
करोड़ों लोगों की भीड़ वाले कुंभ मेले में इसी नियोन  मेकअप वाली औरत को उसके पीछे भागने वाले लोग  अपने कांधों पर उठाने को लालायित होकर आपस में  बहसियाते दिखते हैं...इतनी भीड़ के बावज़ूद उसे कुंभ के  मठाधीशों के ऐशो-आराम, सेवा-पूजा आकर्षित करती है  और उसके भीतर नई दुष्‍कांक्षा जन्‍म लेती है।  ग्‍लैमरहीन मठाधीशों की दबंगई उसे एक और दुस्‍साहस  करने को उकसाती है कि क्‍यों न अपने रुतबे का चोला  बदल दिया जाये...और....

तीसरा सीन-
इस ग्‍लैमरस शख्‍शियत ने फरमान जारी किया कि हेड  गुर्गा फौरन इसी कुंभ मेले में मठाधीशों के बीच जाकर  ये पता लगाये कि इनके कैंपों में कौन-कौन से रास्‍तों  से घुसा जा सकता है ...और वो ऐसा सोचती भी कैसे  ना उसके पास तो पैसा था, ग्‍लैमर भी और बौराये  फिरने वाले उसके चमचे भी। बस फिर क्‍या था, गुर्गे ने  रास्‍ता खोज निकाला, कान में आकर फुसफुसाया,  नियोन मेकअप में चमकती मुस्‍कुराहट और भी  तिलिस्‍मी हो गई, रास्‍ता तो बेहद ही आसान  था...आखिर उसे तो इसमें महारत हासिल है, अब उसने  पैंतरों का अगला कदम उठाया और गुर्गे को कानों-कान  आदेश दिया, खुद ध्‍यान में बैठ गई।

चौथा सीन-
गुर्गा लॉबिंग में माहिर था सो अपनी ग्‍लैमरस गुरू को  इलीट मठाधीश बनाने के लिए उसने सबसे बड़े कैंप के  मुख्‍य कर्ता-धर्ता के चरण पकड़ लिए, अपने आने का  आशय बताया, उनके मठ को भारी दान की पेशकश  की, जिसमें कुछ प्रत्‍यक्ष था तो कुछ अप्रत्‍यक्ष। दान भी  कोई थोड़ा न था, कुल दो किश्‍तों में देना तय हुआ,  पहली किश्‍त प्रत्‍यक्ष थी कुल दस लाख रुपये। दूसरी  किश्‍त भी इतनी ही तय हुई मगर वो तब देनी तय थी  जब मुख्‍य कर्ता-धर्ता अखाड़ा-मठों के इलीट वर्ग के  महत्‍वपूर्ण महामंडलेश्‍वर का पद उस ग्‍लैमर की मूर्ति को  दिलवा देते। सब-कुछ योजना मुताबिक चला। अगले  कुछ दिनों में महामंडलेश्‍वर पर ग्‍लैमर अपनी चकाचौंध  के साथ विराजमान था।

पांचवा सीन-
बवाल तो होना था सो हुआ भी...आफ्टरऑल ये सब  हायर की गई मुंबई की दो पीआर एजेंसियों का 'फेम  बाय कंट्रोवर्सी' खेल जो था। कुछ जलकुकड़ों को तैयार  किया गया विरोध करने को, उनका भी नाम हुआ..इन्‍हें  भी फेम मिला। चर्चित हो चुकीं नवविभूषित ग्‍लैमरस  महामंडलेश्‍वर के रंग में भंग... इस तरह अंदरखाने  लॉबिंग कर महामंडलेश्‍वर बनाये जाने का तगड़ा विरोध  अखाड़े के जूनियर मठाधीशों द्वारा किया गया। ग्‍लैमरस  लेडी महामंडलेश्‍वर ने खिताब पर हकदारी साबित करने  को बेहिसाब पैसा लुटाया। गृहस्‍थ सुख भोगने के सारे  सुबूत मिटा दिये गये, लेडी कालिदास ने शास्‍त्रार्थ की  चुनौती अपनी तमाम पुरुष विद्योत्‍तमाओं के बूते पार  कर ली...।

छठा सीन-
ऑल इज वेल दैट एंड इज वेल...
लेडी महामंडलेश्‍वर अपनी गद्दी पर विराजमान हो  अशीर्वाद दे रही हैं...आई लव यू बॉटम टू माई हार्ट....,  आशीर्वाद पाने को कतार में लगे हैं नेता, अभिनेता,  करोड़पति व्‍यापारी, और मूर्ख भक्‍त।
पति, बच्‍चे और भाई, भौजाई दोनों हाथों से चढ़ावे को  ठिकाने लगाने में बिजी हैं.... उधर विरोध करने वालों  की भी अखाड़ेबाजी अपने-अपने मठों में चमक गई, वे  अचानक धर्म के बड़े ठेकेदारों के इलीट वर्ग में शामिल  हो गये, उनका अपना अखाड़ा और अपनी परिषद् है  अब...वे भी...।

- अलकनंदा सिंह

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